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लेखनी कविता -मुस्कुराने की वजह

हां, बदल रही हूं मैं, अपने अतीत को छोड़ पीछे, दृढ़ निश्चय के साथ, आगे बढ़ रही हूं मैं,

तकलीफों से सीखा मैंने दर्द से, खुद को समझा है, समेट कर अब खुद को, हां, निखर रही हूं मैं,

रिश्तों ने बहुत रुलाया, बेहिसाब दर्द पहुंचाया, पर खुद के मुस्कुराने की, सशक्त वजह बन रही हूं, मैं हां, अब बदल रही हूं मैं।।

प्रियंका वर्मा

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